Tuesday, 9 July 2019

ADA PART 1

अदा" नाम कि फॅशन स्कूल में मैं ऍड प्रिंटिंग का काम करता था। काफी बार मेरा आना जाना रहता था। स्कूल नया और छोटा होने के कारण ऍड कराने के लिए स्कूल की ओनर नारिषा बड़ी मेहनत कर रही थी। मेरा उनका सम्बद्ध काफी घरेलु हो गया था। वह और उनके शिक्षक मुझे उनके साथ कई पार्टियाँ और इवेंट में भी ले के जाने लगे थे। एक दिन एक इवेंट सिर्फ महिलावों के लिए था और नारिषा मैडम को मुझे भी लेके जाने का बहुत सवाँर था। मैडम ने दिमाग लगाया और मुझे लड़की बनाके इवेंट ले के चले गए। 

दरअसल में बहुत पतला और नाटा हु। छोटासा फेस लड़कियों के कपडे पहनाने से लड़की ही दीखता हु। मैंने तो उस पार्टी में बहोत मज्जे किये। महंगे होटल में जाने और खाने से मुझे सब अच्छा लगने लगा था। 
इवेंट करीब २ बजे ख़त्म हुआ था। मैडम ने मेरे घर पे पहले ही फ़ोन कर के बोल दिया था की लेट होनेवाला है। मैडम मुझे छोड़ने मेरी घर आ रही थी। मुंबई के चाली में मैं रहता था। घर की हालत ठीक ठाक थी। 
मेने लड़की वाली ड्रेस अभी भी पहनी हुयी थी। घरवालों से मैंने कुछ भी छुपाया नहीं था। मेरा ऊँचे लोगो से उठना बैठना देख के वो भी कुछ नहीं बोलते थे। 

मगर बहोत अछि नहीं थी। मैडम और मैं घर पहुंचा। आजु बाजू के सारे सो रहे थे। मैंने दरवाज़ा खटखटाया। घर की लाइट शुरू हुई। माँ ने दरवाज़ा खोला। उसने मुझे देखा और २ पल देखते रह गयी। मैंने घुटनों तक लम्बी पोल्का डॉटेड स्कर्ट और पूरा सफ़ेद रंग की पेट खुला कर रखने वाली वूलेन फुल स्लीव ब्लाउज पहनी थी। और लॉन्ग काले लेदर के जूते। गले में एक बड़ी मोती की माल और हाथ में एक छोटासा पर्स। गले से थोड़े निचे तक बालों का विग। ग्लॉसी ग्लैमर वाला मेक उप। मैं किसी भी मॉडल से काम नहीं लग रहा था। उसने मुझे पहचाना ही नहीं। फिर बाजू में खड़ी मैडम को देख कर वो समझ गई की मैं उसका अतुल ही हु। मैंने मैडम को बाय बोला और घर के अंदर चला गया। अंदर जाते ही माँ ने मुझे देखा और हलकी सी स्माइल कर गयी। मैंने उससे पूछा इसका कारण तो बोलने लगी और सारे राज़ खोलने लगी । दरअसल मेरे ३ बड़े भाई है। हमें एक भी बहन नहीं थी। वो हमेशा से एक लड़की चाहती थी। जिससे वो बात करती, लड़ती , बिगड़ती, संभलती। मुझे याद है मुझे हमेशा से वो फैंसी ड्रेस में लड़की बनाती थी। उसके बड़े तीनों लड़के नालायक निकले और हमें छोड़ कर चले गए शादी करके। और उस शॉक में पिताजी भी चले गए। वो रात माँ सब याद कर के रो रही थी। मैंने उसको गले लगाया। और समझाया की वो अकेली नहीं है। उसको अच्छा लगने के लिए मैंने अभी तक कपडे नहीं बदले। और वैसे ही माँ के गोद में सो गया। 

आज संडे था। सुबह के ८ बजे थे। मैडम का फ़ोन बजा था। रात को देर से सोने के कारण मैं अभी भी सो रहा था। मैडम ने मुझे तुरंत ऑफिस बुलाया था। ,मैंने मैडम को बोलै की में अभी तक कल के कस्टूम में हु। थोड़े टाइम बाद आवूंगा। तो उन्होंने मना किया और बोलै की जैसे हो वैसे ऑफिस पहुंचो। मैंने मुँह भी नहीं धोया बस माँ को बाय बोलके चाली के बाहर खड़ी रिक्शा पकड़ के ऑफिस चला आया। 

"अतुल , तुम्हे मेरा एक काम करना है। जिसके लिए मैं तुम्हे ५०००० दूंगी। " नारिषा मैडम अकेली मेरा वेट कर रही थी। 
"मैडम अभी तो में आया हु। अभी के अभी क्या काम करू ?" मैडम के सामने वाली खुर्सी में बैठा और बड़ी कैजुअलि मैंने उनसे पूछा। 

"अतुल। थोड़ा पानी पि लो। " मैंने पानी पिया और मैडम की सीरियस टोन को देख ध्यान से सुनने लगा। 
"देखो अतुल , तुम्हे पता है की मुझे अपना ये स्कूल बहोत बड़ा करना है। इसके लिए हमें ही कुछ करना पड़ेगा। बहोत बड़ी धन राशि जमा करनी पड़ेगी। "

"मगर आपके पति तो बहोत बड़े उद्योगपति है। आपको पैसो की क्या कमी ?"
"ठीक बोले हो ! मगर मेरा पति अब मुझे इससे ज्यादा पैसे नहीं देगा। एक तो वो 'गे.. ' "
"गे ?? सर गे है ??"

"हाँ , सर गे है। उन्होंने सिर्फ घरवालों के वजह से मुझसे शादी की है। मगर हम दोनों बहोत अचे दोस्त है। इसलिए उन्होंने समाज को दिखने के लिए मुझसे शादी की। "
"अच्छा। मगर मैडम आप मुझसे चाहती क्या है ?"
"एक्चुअली अतुल , आज उनका बर्थडे है। मैं चाहती हु की वो खुश हो जाए ऐसा कुछ उनको दू "
"अछि बात है। तो हम अभी शॉपिंग के लिए जाने वाले है क्या ?"
"हाँ , ऐसा ही कुछ !"
"क्या गिफ्ट देने वाली हो आप सर को ?"
"अतुल ...... तुम !! "

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